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कूष्मांडा देवी कवच - Kushmanda Devi Kavach

हंसरै में शिर पातु, कूष्माण्डे भवनाशिनीम् ।

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम् ॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,

पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम ।

दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु ॥

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